जीवन में सभ्यता की गतिशीलता के कारण बदलाव एक अनिवार्य प्रक्रिया है। बदलाव की प्रक्रिया को समझना होगा। बदलाव जीवन का अनिवार्य प्रसंग है। पूर्वग्रह, अज्ञान और आशंका के कारण बदलाव के अंगीकार की आरंभिक जड़ता बाधा उत्पन्न करती है। किसी भी तरह से, जबरन भी, बदलाव के अंगीकार की आरंभिक जड़ता जब तोड़ दी जाती है पूर्वग्रह कमजोर पड़ता है, थोड़ी-सी जानकारी बढ़ती है, आशंकाएँ कम होती हैं और हम बदलाव के साथ हो लेते हैं। जीवन में, खास कर मूल्यबोध की श्रृँखला में, इस तरह के अनुभव से हम गुजरते रहते हैं। अज्ञान और आशंका के कारण पूर्वग्रह, अज्ञान और आशंका के कारण हम नये के अंगीकार से हिचक जाते हैं और कई बार बहुत पिछड़ जाते हैं। कंप्यूटर को देश में लाने और उससे जुड़े विरोध का मामला इसका बड़ा और बेहतर उदाहरण है।
जी, कहानी कुछ और है
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गुड़ मीठा होता है। गाँव देहात में गुड़ को मीठा कहते हैं। एक बार एक बारात में विचित्र स्थिति उत्पन्न हुई। एक बाराती अड़ गया। अड़ गया कि वह मीठा खायेगा। तरह-तरह की मिठाइयाँ परोसी गई, उसने एक को भी हाथ नहीं लगाया। अड़ा रहा कि गुड़ ही चाहिए। अंत में लड़की के बाप ने फैसला किया और छोकरों को इशारा किया। छोकरों ने उसे पटककर मुँह में रसगुल्ला ठूँस दिया। रसगुल्ला जब मुँह में गया तो उसका स्वाद घुलने लगा। वह जब चुभलाने लगा तो छोकरों ने ढीला छोड़ दिया। उस आदमी ने कहा कि हाँ यह भी ठीक है चलेगा। तभी कहीं से कोई गुड़ लेकर पहुँच गया। आगे आप समझ ही सकते हैं..।
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